प्रश्न अभ्यास
1. कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?
उत्तर
कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात इसलिए कही है क्योंकि यही सत्य है। भूली-बिसरी यादें या भविष्य के सपने मनुष्य को दुखी ही करते हैं, किसी मंजिल तक नहीं ले जाते। मनुष्य को आखिर में वास्तविक सच का सामना करना ही पड़ता है इसलिए उसे पूजन यानी ग्रहण करना चाहिए|
2. भाव स्पष्ट कीजिए -
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
उत्तर
बड़प्पन का अहसास यानी महान होने का सुख एक झूठा आभास है| जिस तरह हिरण रेगिस्तान में पानी की आस में सूर्य की किरणों की चमक को जल मान उसके पीछे भटकते रहता है, बड़प्पन का अहसास भी ऐसा ही है| जिस तरह हर चाँदनी रात के बाद आमवस्या की काली रात आती है उसी तरह जीवन में सुख-दुःख भी आते जाते रहते हैं| इस सत्य को हमें स्वीकार करना चाहिए|
3. 'छाया' शब्द यहाँ किस संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है? कवि ने उसे छूने के लिए मना क्यों किया है?
उत्तर
छाया शब्द स्मृतियों के स्मरण के संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है| हमारे जीवन में सुख और दुःख आते जाते रहते हैं| वर्तमान के दुखी समय में पुराने समय के सुखद क्षणों को ज्यादा करने से मन और भी दुखी हो जाता है| इसलिए हमें उन स्मृतियों को भुलाकर वर्तमान के सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए|
4. कविता में विशेषण के प्रयोग से शब्दों के अर्थ में विशेष प्रभाव पड़ता है, जैसे कठिन यथार्थ। कविता में आए ऐसे अन्य उदाहरण छाँटकर लिखिए और यह भी लिखिए कि इससे शब्दों के अर्थ में क्या विशिष्टता पैदा हुई?
उत्तर
1. दुख दूना - यहाँ दुख दूना में दूना (विशेषण) शब्द के द्वारा दुख की अधिकता व्यक्त की गई है।
2. जीवित क्षण - यहाँ जीवित (विशेषण) शब्द के द्वारा क्षण को चलयमान अर्थात् उसके जीवंत होने को दिखाया गया है।
3. सुरंग-सुधियाँ - यहाँ सुरंग (विशेषण) शब्द के द्वारा सुधि (यादों) का रंग-बिरंगा होना दर्शाया गया है।
4. एक रात कृष्णा - यहाँ एक कृष्णा (विशेषण) शब्द द्वारा रात की कालिमा अर्थात् अंधकार को दर्शाया गया है।
5. शरद रात - यहाँ शरद (विशेषण) शब्द रात की रंगीनी और मोहकता को उजागर कर रहा है।
6. रस बसंत - यहाँ रस (विशेषण) शब्द बसंत को और अधिक रसीला, मनमोहक और मधुर बना रहा है।
5. 'मृगतृष्णा' किसे कहते हैं, कविता में इसका प्रयोग किस अर्थ में हुआ है?
उत्तर
गर्मी की चिलचिलाती धूप में रेगिस्तान में दूर सूर्य की किरणों द्वारा उत्पन्न चमक से पानी होने का अहसास परन्तु वहाँ पर कुछ नहीं होता| इस भ्रम की स्थिति को 'मृगतृष्णा' कहा जाता है। इसका प्रयोग कविता में बड़प्पन के एहसास के अर्थ में हुआ है।
6. 'बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले' यह भाव कविता की किस पंक्ति में झलकता है?
उत्तर
क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?
जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण,
इन पंक्तियों में 'बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले' का भाव झलकता है।
7. कविता में व्यक्त दुख के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
'छाया मत छूना' कविता में कवि ने मानव की कामनाओं-लालसाओं के पीछे भागने की प्रवृत्ति को दुखदायी माना है क्योंकिं इसमें अतृप्ति के सिवाय कुछ नहीं मिलता। हम विगत स्मृतियों के सहारे नहीं जी सकते, हमें वर्तमान में जीना है। उन्हें छूकर याद करने से मन में दुख बढ़ जाता है। दुविधाग्रस्त मन:स्थिति व समयानुकूल आचरण न करने से भी जीवन में दुख आ सकता है। व्यक्ति प्रभुता या बड़प्पन में उलझकर स्वयं को दुखी करता है।
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