आज के आधुनिक युग में विचारों के आदान-प्रदान के अनेक साधन उपलब्ध हैं, परंतु पत्र लेखन का हमारे जीवन में आज भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। पत्रों को इसी आधार पर दो भेदों में बाँटा जा सकता है
1. औपचारिक पत्र
2. अनौपचारिक पत्र
1. औपचारिक पत्र – औपचारिक पत्र हम विभिन्न विभागों तथा अधिकारियों को आवेदन के लिए किसी समस्या के लिए, किसी सूचना के लिए अथवा किसी अन्य सार्वजनिक या व्यापारिक कारण से लिखते हैं। औपचारिक पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
· प्रेषक का पता, दिनांक, अभिवादन, स्वनिर्देश हस्ताक्षर आदि बाई ओर से लिखें।
· इसके बाद तिथि लिखी जाती है। संक्षेप में पत्र का विषय लिखा जाता है।
· इसके बाद संबोधन आता है; जैसे- महोदय, मानवीय या मान्यवर आदि। औपचारिक पत्रों में प्रायः अभिवादन नहीं लिखा जाता है।
इसके पश्चात धन्यवाद लिखा जाता है।
अंत में प्रार्थी, विनीत, आपका आज्ञाकारी, भवदीय आदि जो उचित हो लिखा जाता है तथा लिखने वाला अपना नाम व पता लिखता है।
संबोधन – श्रीमान्, महोदय, मान्यवर, माननीय आदि।
अभिवादन – प्रायः नहीं होता।
अंत के शब्द – प्रार्थी, निवेदक, विनीत, भवदीय/भवदीया।
आपका आज्ञाकारी, आपकी आज्ञाकारिणी आदि।
2. अनौपचारिक पत्र – इस पत्र में व्यक्तिगत पत्र आते हैं। इस प्रकार के पत्र माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी, मित्र-सहेली तथा संबंधियों को लिखे जाते हैं।
अनौपचारिक पत्रों को लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
· पत्र लिखने वाला अपना पता तथा तिथि बाई ओर लिखता है।
· इसके नीचे अभिवादन लिखा जाता है; जैसे-नमस्ते, असीम स्नेह, सादर चरण स्पर्श आदि।
· अंत में जिसे पत्र लिखा जा रहा है, उससे लिखने वाले का संबंध व नाम लिखा जाता है; जैसे-मित्र/सखी, आपका बेटा/ बेटी, आपका पोता/पोती आदि।
अनौपचारिक पत्रों में-
जिन्हें पत्र लिखा हो | संबोधन | अभिवादन | अंत के शब्द |
बड़ों को | आदरणीय, पूजनीय, माननीय, परमपूज्य | सादर प्रणाम, चरण स्पर्श | आज्ञाकारी, आपका पुत्र, भाई, शिष्य |
छोटों को | प्रिय, आयुष्मान चिरंजीवी | शुभाशीर्वाद, प्रसन्न रहो, सुखी रहो | तुम्हारा हितैषी, तुम्हारा शुभेच्छा, शुभचिंतक, तुम्हारा शुभाकांक्षी |
बरोबर वालों को | प्रिय भाई, बहन, मित्र, सखी | नमस्ते, सप्रेम नमस्कार, मधुर स्मृति | शुभाभिलाषी तुम्हारा भाई, बहन, मित्र, सखी |
औपचारिक पत्र
1. अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए पत्र लिखिए।
सेवा में
प्रधानाचार्य महोदय
क, ख, ग, विद्यालय
………. नगर।
दिनांक ……….
विषय – आर्थिक सहायता प्राप्त करने के संबंध में।
मान्यवर
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय कक्षा आठवीं ‘ए’ का छात्र हूँ। मैं विद्यालय में पिछले चार वर्षों से अध्ययनरत हूँ। इन सभी वर्षों में मेरा पढ़ाई का रिकार्ड अच्छा रहा है। पढ़ाई के साथ-साथ मैंने विद्यालय द्वारा आयोजित अनेक कार्यक्रमों में भाग लेकर अनेक पुरस्कार प्राप्त किए हैं। महाशय मेरे पिता जी की एक वर्कशाप थी जिसे सरकारी नियमों के अनुसार बंद करा दिया गया। इसके कारण घर की आर्थिक स्थिति डाँवाडोल हो गई। पिता जी ने नया व्यापार शुरू किया है, पर उसे चलने में थोड़ा समय लगेगा। इन परिस्थितियों में मेरे पिता जी मेरा शिक्षण शुल्क बहन करने में असमर्थ हैं।
अतः आपसे अनुरोध है कि इस वर्ष मुझे विद्यालय की ओर से आर्थिक सहायता प्रदान करने की स्वीकृति देने की कृपा करें। जिससे मेरी पढ़ाई में किसी तरह से रुकावट न हो।
आपकी इस कृपा के लिए आजीवन आपका आभारी रहूँगा।
धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी शिष्य
क ख ग
कक्षा आठवीं, अनुक्रमांक 16
2. अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए।
सेवा में
प्रधानाचार्य
क ख ग विद्यालय
दिल्ली।
विषय – अवकाश के लिए प्रार्थना पत्र
महोदय,
निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय की आठवीं कक्षा का छात्र हैं। कल विद्यालय से आते ही मुझे बुखार आ गया, जो रात तक और बढ़ गया। डॉक्टर ने मुझे चार दिन तक चलने फिरने से मना किया है। अतः मैं विद्यालय आने में असमर्थ हूँ। कृपया मुझे 5-11…… से 9-11…… तक का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें।
धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी छात्र
ओजस्व
कक्षा-आठ ‘ब’
तिथि-4-11-20XX
3. प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए जिसमें पुस्तकालय में कुछ और हिंदी पत्रिकाएँ मँगवाने के लिए निवेदन किया गया हो।
सेवा में
प्रधानाचार्य
……….. विद्यालय
……….. नई दिल्ली ।
विषय – पुस्तकालय में हिंदी पत्रिकाएँ मँगवाने हेतु।।
महाशय
निवेदन है कि हमारे विद्यालय के पुस्तकालय में ज्ञान-विज्ञान व खेल संबंधी हिंदी की पत्रिकाओं का अभाव है। यहाँ पर अंग्रेज़ी की अनेक पत्रिकाएँ आती हैं लेकिन कई बच्चे अंग्रेज़ी नहीं समझते। अतः आप से अनुरोध है कि पुस्तकालय में क्रिकेट सम्राट, प्रतियोगिता दर्पण, विज्ञान प्रगति, नंदन आदि हिंदी की पत्रिकाएँ नियमित रूप से मँगवाई जाएँ, ताकि अधिक से अधिक छात्र ज्ञान छात्र ज्ञान ग्रहण कर सकें। आशा है आप मेरी माँग पूरी करेंगे।
धन्यवाद
भवदीय
क ख ग
दिनांक ……
4. डाकिए की डाक बाँटने के लिए अनियमितता की शिकायत।
सेवा में
डाकपाल महोदय
अंकुर विहार डाकखाना
लोनी, गाजियाबाद।
विषय – डाकिए की डाक बाँटने की अनियमितता के विषय में पत्र
महोदय
सविनय निवेदन यह है कि हमारे क्षेत्र अंकुर विहार गाजियाबाद में गत पाँच-छह महीने से डाक वितरण अनियमितता से स्थानीय निवासी परेशान हैं।
इस क्षेत्र में प्रतिदिन डाक वितरण नहीं होता। डाकिए सप्ताह में केवल एक या दो बार आते हैं तथा मुहल्ले के गेट पर खड़े चौकीदारों को सभी पत्र थमा कर चले जाते हैं। कई बार पत्र गलत पते पर डालकर चले जाते हैं जिससे और भी अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। जरूरी डाक तथा तार समय पर न मिलने से कई लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा तथा कुछ बच्चों के दाखिले भी नहीं हो पाए। ये सभी डाकिए त्योहार पर रुपए माँगने तो आ जाते हैं पर डाक देने नहीं। किसी-किसी ने तो मनी आर्डर की राशि भी पूरी न मिलने की शिकायत की है।
आशा है आप उक्त अनियमितताओं को दूर करने के लिए उचित कार्यवाही करेंगे।
धन्यवाद
भवदीय
आयुष रंजन तिवारी
5. अपने विद्यालय की वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लेने की अनुमति के लिए प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र लिखिए।
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय
……… विद्यालय
……….. नई दिल्ली।
विषय – वाद-विवाद प्रतियोगिता भाग लेने की अनुमति के संबंध में।
मान्यवर,
सविनय निवेदन है कि मैं विद्यालय की आठवीं-सी का छात्र हूँ।
आगामी 14 जनवरी को ‘बाल जयंती के अवसर पर विद्यालय में अंतर विद्यालयी भाषण-प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। हमारी कक्षा अध्यापिका ने बताया इस बार बोर्ड की परीक्षा नजदीक होने के कारण इस प्रतियोगिता में छात्रों को भाग लेने की अनुमति नहीं दी जा रही है। मैं कई वर्षों से इस प्रकार की प्रतियोगिताओं में भाग लेता रहा हूँ तथा पुरस्कार भी प्राप्त करता रहा हूँ। मेरी इच्छा है कि इस बार भी मैं इस प्रतियोगिता में भाग लँ। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि प्रतियोगिता में भाग लेने से मेरी परीक्षा की तैयारियों में कोई व्यवधान नहीं पड़ेगा।
अतः आपसे अनुरोध है कि मुझे इस प्रतियोगिता में भाग लेने की अनुमति देकर कृतार्थ करें।
धन्यवाद
आपको आज्ञाकारी शिष्य
क ख ग
कक्षा आठवीं ‘सी’
6. अपने क्षेत्र में बढ़ती अपराधवृत्ति तथा चोरियों की घटनाओं के बारे में क्षेत्र के थाना अध्यक्ष को पत्र लिखिए।
थानाध्यक्ष महोदय
थाना लोनी, गाजियाबाद
दिनांक ..
विषय – अंकुर विहार क्षेत्र में बढ़ते अपराधों के संबंध में
मान्यवर
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अंकुर विहार क्षेत्र में बढ़ते जा रहे अपराधों तथा चोरियों की घटनाओं की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। पिछले कुछ दिनों से इस क्षेत्र में अपराधों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार, दिन दहाड़े चोरी की घटनाएँ, महिलाओं का पर्स या चेन झपट लेना जैसी घटनाओं के कारण आम नागरिक परेशान है।
सबके मन में असुरक्षा का भय व्याप्त हो गया है। मान्यवर, आप जिस क्षेत्र से स्थानांतरित होकर इस थाने में आए हैं, वहाँ आपकी छवि एक कर्तव्यनिष्ठ एवं ईमानदार पुलिस अफ़सर के रूप में थी। इस क्षेत्र के निवासियों को पूर्ण विश्वास है कि आप शीघ्र ही अपराध वृत्ति की इन घटनाओं पर अंकुश लगाने में समर्थ होंगे।
आपसे अनुरोध है कि आप रात्रि में गश्त बढ़ा दें तथा अपने अधीन कार्यरत पुलिसकर्मियों को अपराधियों से निपटने के लिए कड़े निर्देश दें।
सधन्यवाद
भवदीय
आयुष रंजन
अध्यक्ष, आर० ए० डब्ल्यू० अंकुर विहार
अनौपचारिक पत्र
1. अपने मित्र को नव वर्ष पर शुभकामना पत्र लिखिए
बी-413 डी० एल० एफ०
अंकुर विहार
दिनांक ……
प्रिय मित्र कुणाल
मधुर स्मृति
1 जनवरी 20XX से प्रारंभ होने वाला नववर्ष तुम्हारे जीवन में सुख-समृद्धि की वर्षा करे। नववर्ष की पूर्व संध्या पर मेरी ।
शुभकामनाएँ स्वीकार करो।
सधन्यवाद
तुम्हारा मित्र
क ख ग
2. आपके जन्म दिन पर आपके मामा जी ने आपको एक सुंदर उपहार भेजा है। इस उपहार के लिए धन्यवाद एवं कृतज्ञता
व्यक्त कीजिए।
जी० 501 सुंदर विहार
नई दिल्ली
दिनांक ……
पूज्य मामा जी
सादर प्रणाम
मेरे जन्म दिन पर आपके द्वारा भेजा गया बधाई संदेश तथा एक सुंदर हाथ-घड़ी का उपहार मिला। आपके द्वारा भेजा गया यह उपहार मेरे सभी मित्रों एवं सहपाठियों को भी काफ़ी पसंद आया।
मैं तो आशा कर रहा था कि इस बार आप मेरे जन्म-दिन पर स्वयं उपस्थित होकर मुझे स्नेह आशीर्वाद देंगे, परंतु किसी कारण आप न आ सके। जब आपको उपहार प्राप्त हुआ, तो मेरी सारी शिकायत दूर हो गई और आपके प्रति कृतज्ञता से भर गया। आपके द्वारा भेजा गया उपहार मुझे आपके स्नेह का स्मरण कराता रहेगा।
इतने सुंदर उपहार के लिए मैं आपका कृतज्ञ हूँ। आदरणीय मामा जी को सादर प्रणाम, ओजस्व को स्नेह।
आपका भानजा
क ख ग
3. अपने पिता जी को कुछ रुपए मंगवाने के लिए पत्र।
पैरामाउंट छात्रावास
सैक्टर-18, नोएडा
उत्तर प्रदेश
दिनांक ……….
पूज्य पिता जी,
सादर चरण-स्पर्श ।
आपके आशीर्वाद से मैं पूर्णतः स्वस्थ हूँ। मैं आशा करता हूँ कि आप भी सपरिवार सकुशल होंगे और ईश्वर से यही कामना करता हूँ। आपको यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता होगी कि मेरी वितीय सत्र की परीक्षा का परिणाम आ गया है। मुझे गणित तथा विज्ञान में शत-प्रतिशत अंक मिले हैं तथा शेष विषयों में 93 प्रतिशत अंकों के आधार पर मैं कक्षा में प्रथम आया हूँ।
अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह से मेरी नई कक्षा की पढ़ाई शुरू हो जाएगी। मुझे नई किताबें, कापियाँ तथा हॉस्टल की फीस देने के लिए सात हजार रुपयों की जरूरत है। मुझे हॉस्टल की फ़ीस तथा पुस्तकों का कार्य 30 मार्च से पहले करना है, इसलिए शीघ्र पैसे भेजने का कष्ट करें।
मेरी ओर से पूजनीय माता और चाची को सादर प्रणाम तथा दीदी को प्रणाम।
आपका आज्ञाकारी पुत्र
अक्षत कुमार
4. अपनी सखी को अपनी बड़ी बहन के विवाह पर आमंत्रित करते हुए पत्र।
J-415 नेहरू नगर
सोनीपत (हरियाणा)
दिनांक………
प्रिय सखी कोमल
मधुर स्मृति
तुम्हें यह जानकर अति प्रसन्नता होगी कि मेरी बड़ी बहन नेहा दीदी का शुभ विवाह 10 फरवरी 20XX को होना निश्चित हुआ है। मेरी हार्दिक इच्छा है कि इस अवसर पर तुम भी यहाँ आ जाओ और कार्यक्रम में सम्मिलित हो।
पत्र के साथ मैं कार्यक्रम संबंधी पूरी जानकारी भेज रही हूँ तथा एक निमंत्रण पत्र तुम्हारे माता-पिता के लिए भी संलग्न कर रही हूँ। मेरे माता-पिता की इच्छा है कि तुम्हारे माता-पिता भी इस अवसर पर पधारकर कृतार्थ करें। पत्र के उत्तर की प्रतीक्षा में।
तुम्हारी सखी
अंशु
5. मित्र के दादा जी के निधन पर उसे सांत्वना पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक …..
प्रिय मित्र रोहन
सस्नेह नमस्कार
कल शाम को तुम्हारा मित्र मिला। यह जानकर बड़ा दुख हुआ कि तुम्हारे पूज्य दादा जी को अचानक निधन गत सप्ताह हो गया। यह सुनकर मैं स्तब्ध रह गया। मुझे इस समाचार पर सहसा विश्वास नहीं हुआ। पिछले महीने जब मैं तुम्हारे यहाँ आया था तब वे कितने प्रसन्नचित एवं स्वस्थ लग रहे थे। उन्होंने उपहार के तौर पर एक कलम भी दिया था। वह कलम सदैव उनकी स्मृति बनकर मेरे पास रहेगा।
ईश्वर से मेरी प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को सद्गति और तुम्हें एवं तुम्हारे परिवारजनों को यह दुख सहने की शक्ति एवं धैर्य प्रदान करे।
मित्र, ईश्वर की लीला बड़ी विचित्र है। उनकी मरजी पर किसी का ज़ोर नहीं। जीवन-मरण उनके साथ ही में है। मैं तुमसे मिलने अवश्य आऊँगा।
तुम्हारा अभिन्न मित्र
राकेश
6. अपने विद्यालय में खेल का सामान मँगवाने के लिए प्रधानाचार्या को पत्र लिखिए।
सेवा में,
प्रधानाचार्या महोदया,
डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल,
दयानंद विहार, दिल्ली।
विषय – खेल की सामग्री मँगवाने के लिए प्रार्थना पत्र।
महोदया,
निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय की दसवीं कक्षा का छात्र हैं। इस विद्यालय में शिक्षण की उत्तम व्यवस्था है, जिसका प्रमाण बोर्ड की कक्षाओं का शत-प्रतिशत परीक्षा परिणाम है, किंतु खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि विद्यालय में खेलों के समुचित और आवश्यक सामान के अभाव में हम छात्र अभ्यास करने से वंचित रह जाते हैं, जिसके कारण खेलों की उचित तैयारी नहीं हो पाती है। अभ्यास के अभाव में हमारे विद्यालय की टीमें दूसरे विद्यालयों के साथ हुई प्रतियोगिता में संघर्ष करती रहीं और अंततः पराजय हाथ लगी।
इसका मुख्य कारण यही था कि हमारे विद्यालय के खिलाड़ियों में अभ्यास के अभाव के कारण जीत के विश्वास का अभाव था। पुनः इस वर्ष प्रतियोगिता के लिए हम भरपूर अभ्यास करना चाहते हैं, ताकि विपक्षी के सामने आत्म-विश्वास के साथ खेल के मैदान में उतरें। हम पर्याप्त अभ्यास कर सकें, इसके लिए खेलों के लिए आवश्यक सामानों की आवश्यकता है। हम छात्र आपको विश्वास दिलाते हैं कि खेल-शिक्षक के कुशल निर्देशन में पर्याप्त अभ्यास तथा परिश्रम से आगामी प्रतियोगिताओं में पदक अवश्य जीतेंगे तथा विद्यालय की उपलब्धियों में चार चाँद लगाएँगे। इसलिए प्रार्थना है कि खेल संबंधी सामान शीघ्र मँगवाने की कृपा करें।
मैं आपको पुनः आश्वस्त करता हूँ कि यदि हम पर्याप्त अभ्यास कर सकें तो निश्चित ही विजयी रहेंगे।
सधन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
संभव
X-A, अनुक्रमांक 28
02 सितंबर, 20XX
7. पुनः प्रवेश हेतु प्रधानाचार्या को पत्र लिखिए।
सेवा में,
प्रधानाचार्या महोदया,
रा.स.स.शि.उ.मा. विद्यालय,
सूरजमल विहार,
नई दिल्ली।
विषय – पुनः प्रवेश हेतु प्रार्थना पत्र।
महोदया,
निवेदन है कि मुंबई में रह रहे मेरे बड़े भाई को दुर्घटना में गंभीर चोट आ गई थी। उस सूचना के मिलने पर यकायक पिता जी के साथ मुझे मुंबई जाना पड़ा और वहाँ मुझे अधिक दिनों तक रहना पड़ा, जिसकी कोई सूचना विद्यालय नहीं भेजी गई थी। इसलिए लगातार अनुपस्थित रहने के कारण मेरा नाम काट दिया गया है।
अतः आपसे प्रार्थना है कि पुनः प्रवेश करने के लिए अनुमति प्रदान करने की कृपा करें। आपका आभारी रहूँगा।
सधन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य।
हेमांग शर्मा
X-B, अनुक्रमांक
15 जुलाई, 20XX
8. चरित्र प्रमाण पत्र के लिए प्रधानाचार्या को पत्र लिखिए।
सेवा में,
प्रधानाचार्या महोदया,
दिल्ली पब्लिक स्कूल,
नोएडा,
गौतम बुद्ध नगर (उ.प्र.)।
विषय-चरित्र प्रमाण पत्र हेतु।
महोदया,
निवेदन यह है कि मैं इस विद्यालय में 2010 में IX कक्षा की छात्रा रही हूँ। अब मेरे पिता जी का स्थानांतरण नोएडा से जनकपुरी दिल्ली में हो गया है। मुझे जनकपुरी स्थित विद्यालय में प्रवेश लेना है। प्रवेश हेतु आवेदन पत्र के साथ चरित्र प्रमाण पत्र भी आवश्यक है।
मैं पढ़ाई के साथ-साथ पाठ्य सहगामी क्रियाओं में भी सक्रिय भाग लेती रही हूँ। मैं कबड्डी टीम की कप्तान रही हूँ। मैंने वाद-विवाद प्रतियोगिता में पुरस्कार भी जीता है।
आपसे प्रार्थना है कि मुझे चरित्र प्रमाण पत्र प्रदान करने की कृपा करें जिसमें शैक्षिक एवं अन्य सहगामी क्रियाओं का उल्लेख किया गया हो।
सधन्यवाद।
आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या।
आकांक्षा मौर्या
X-A, अनुक्रमांक 08
05 जुलाई, 20XX
9. किसी छात्र को सम्मानित करने हेतु विद्यालय की प्रधानाचार्या को अनुरोध पत्र लिखिए।
सेवा में,
प्रधानाचार्या महोदया,
डी.पी.एस. पब्लिक स्कूल,
गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश।
विषय – छात्रा को सम्मानित करने हेतु पत्र।
महोदय,
निवेदन है कि तृषा चौधरी हमारे विद्यालय की ऐसी प्रतिभाशालिनी छात्रा है, जिसने तैराकी-प्रतियोगिता में अनेक मैडल प्राप्त कर विद्यालय की उपलब्धियों में वृद्धि की है। इतना ही नहीं, वह अदम्य उत्साह से भरपूर है।
एक दिन प्रातः काल वह अपने पिता जी के साथ दिल्ली स्थित किसी तरणताल में अभ्यास के लिए आ रही थी। वह पिता जी से अपनी तैराकी के अभ्यास और उपलब्धियों के बारे में बात करने में मग्न थी। तभी सड़क पर एक घायल व्यक्ति को चीखते-कराहते हुए देखा। कोई वाहने उसे टक्कर मारकर भाग गया था। उस घायल की चीख सुनकर पिता जी से कार रुकवाकर उसे अस्पताल पहुँचाया और घायल व्यक्ति की जेब से परिचय-पत्र निकाल, उस पर लिखे पते के माध्यम से उसके घरवालों को सूचित किया। तृषा के इस मानवीय कार्य की अखबारों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है, उसका चित्र भी छपा है। महोदया, तृषा हमारे लिए प्रेरणामयी छात्रा है, जिसमें मानवता-करुणा कूट-कूट कर भरी हुई है। उसने तैराकी में भी विद्यालय को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। अपनी कक्षा की ओर से आपसे अनुरोध है कि संपूर्ण विद्यालय के सामने उसके इस कृत्य की सराहना करते हुए सम्मानित और पुरस्कृत करें जिससे हम सभी छात्रों को प्रेरणा मिले तथा तृषा के इस मानवीयपूर्ण कार्य से कुछ सीख सकें।
सधन्यवाद।
प्रार्थिनी,
आकांक्षा
X-अ, अनुक्रमांक……
20 अगस्त, 20XX
10. राजीव के पिता जी हाथरस से स्थानांतरित होकर दिल्ली आ गए हैं। उनकी ओर से डी.ए.वी. के प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए जिसमें ग्यारहवीं कक्षा में प्रवेश देने के लिए अनुरोध किया गया हो।
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल,
श्रेष्ठ विहार, दिल्ली-110092
विषय – ग्यारहवीं में प्रवेश हेतु प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
विनम्र निवेदन यह है कि मैं भारतीय स्टेट बैंक, सुलतानपुर (उ.प्र.) की शाखा में वरिष्ठ लिपिक पद पर कार्यरत था। मेरी पदोन्नति होने के साथ ही मेरा स्थानांतरण दिल्ली स्थित आनंद विहार शाखा में हो गया। गत सप्ताह से मैंने कार्यभार ग्रहण कर यहीं आनंद विहार के पास रहना शुरू कर दिया है। मेरे पुत्र राजीव ने इसी सत्र अर्थात् 2010 में उ.प्र. बोर्ड से दसवीं परीक्षा 92 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की है। मैं अपने पुत्र का XI में प्रवेश इस विद्यालय में कराना चाहता हूँ।
आपसे विनम्र अनुरोध है कि आप इसे अपने विद्यालय में प्रवेश देने की कृपा करें। साथ में आश्वस्त करता हूँ कि मेरा बेटा एक अनुशासित, उत्साहित और अध्ययन के प्रति विशेष रूप से गंभीर है।
राजीव का विद्यालय छोड़ने का प्रमाण पत्र, चरित्र प्रमाण पत्र आवेदन पत्र के साथ संलग्न है।
सधन्यवाद।
भवदीय,
विनय सिंह कुशवाहा (पिता)
51, आनंद विहार,
दिल्ली-110092
25 जुलाई, 20XX
Either way the teacher or student will get the solution to the problem within 24 hours.