गाय, भैंस, बकरी व भेड़ की बीमारियाँ

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 मवेशियों (गाय और भैंस) में होने वाले सामान्य रोग:

खुरपका और मुंहपका रोग (एफएमडी):

लक्षण: बुखार, लार आना, मुंह और खुरों पर छाले।

रोकथाम: टीकाकरण, जैव सुरक्षा उपाय।

स्तनदाह:

लक्षण: थन में सूजन, गर्मी और दर्द, दूध में बदलाव।

रोकथाम: उचित स्वच्छता, नियमित थन की सफाई और शीघ्र उपचार।

ब्लैकलेग (क्लोस्ट्रिडियल संक्रमण):

लक्षण: सूजन और लंगड़ापन, तेज़ बुखार।

रोकथाम: टीकाकरण, शवों का उचित निपटान।

ब्रुसेलोसिस:

लक्षण: गर्भपात, बांझपन, प्लेसेंटा का बरकरार रहना।

रोकथाम: टीकाकरण, परीक्षण, संक्रमित जानवरों को मारना।

बोवाइन श्वसन रोग (बीआरडी):

लक्षण: खांसी, नाक से स्राव, सांस लेने में परेशानी।

रोकथाम: उचित वेंटिलेशन, टीकाकरण और तनाव में कमी।

बकरियों और भेड़ों में सामान्य बीमारियाँ:

एंटरोटोक्सिमिया (अत्यधिक खाने की बीमारी):

लक्षण: अचानक मृत्यु, आक्षेप, सूजन।

रोकथाम: टीकाकरण, उचित आहार प्रबंधन।

आंतरिक परजीवी (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कीड़े):

लक्षण: वजन घटना, एनीमिया, दस्त।

रोकथाम: नियमित कृमि मुक्ति, चारागाह प्रबंधन।

स्क्रैपी:

लक्षण: व्यवहार में परिवर्तन, असंयम, अत्यधिक खुजली।

रोकथाम: आनुवंशिक परीक्षण, जैव सुरक्षा उपाय।

केसियस लिम्फैडेनाइटिस (सीएलए):

लक्षण: फोड़े, सूजन, हालत खराब होना।

रोकथाम: प्रभावित जानवरों का अलगाव, टीकाकरण।

पैर सड़ना:

लक्षण: लंगड़ापन, दुर्गंधयुक्त स्राव, सूजन।

रोकथाम: खुरों की उचित कटाई-छंटाई, साफ़ और सूखी स्थिति बनाए रखना।

भेड़ों में सामान्य रोग:

ओवाइन प्रोग्रेसिव निमोनिया (ओपीपी):

लक्षण: श्वसन संबंधी परेशानी, वजन घटना, दूध उत्पादन में कमी।

रोकथाम: संक्रमित जानवरों का परीक्षण करना और उन्हें मारना।

पैर सड़न (संक्रामक पैर सड़न):

लक्षण: लंगड़ापन, दुर्गंधयुक्त स्राव, खुर के घाव।

रोकथाम: नियमित रूप से पैरों का निरीक्षण, प्रभावित जानवरों का संगरोध।

पल्पी किडनी (एंटरोटॉक्सिमिया):

लक्षण: अचानक मृत्यु, सूजन, आक्षेप।

रोकथाम: टीकाकरण, उचित आहार प्रबंधन।

भेड़ की पपड़ी (सोरोप्टिक मांगे):

लक्षण: तीव्र खुजली, ऊन का झड़ना, त्वचा पर घाव।

रोकथाम: प्रभावित जानवरों का अलगाव और उपचार, संगरोध उपाय।

बकरियों में होने वाले सामान्य रोग:

संक्रामक एक्टिमा (ओआरएफ):

लक्षण: होंठ, थन और पैरों पर घाव, लंगड़ापन।

रोकथाम: टीकाकरण, प्रभावित जानवरों का अलगाव।

कैप्रिन गठिया एन्सेफलाइटिस (सीएई):

लक्षण: लंगड़ापन, जोड़ों में सूजन, बढ़ती कमजोरी।

रोकथाम: संक्रमित जानवरों का परीक्षण करना और उन्हें मारना।

हेमोन्कोसिस (नाई का पोल कृमि):

लक्षण: एनीमिया, वजन घटना, दस्त।

रोकथाम: नियमित कृमि मुक्ति, चारागाह प्रबंधन।

कोक्सीडियोसिस:

लक्षण: दस्त, निर्जलीकरण, वजन कम होना।

रोकथाम: उचित स्वच्छता, फ़ीड में कोक्सीडियोस्टैट्स।

नियमित पशु चिकित्सा जांच, टीकाकरण, उचित पोषण और स्वच्छता प्रथाएं मवेशियों, भैंसों, बकरियों और भेड़ों में बीमारी की रोकथाम और प्रबंधन के आवश्यक घटक हैं।

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